श्री ब्रह्माणी
माता के
मंदिर में दो आरती होती
है।
01. श्री
ब्रह्माणी
माता जी की आरती
02. श्री
काली जी की आरती
श्री
ब्रह्माणी
माता जी की आरती
जय अम्बे गौरी,
मइया जय आनन्द करनी ।
तुमको निश-दिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिव री
॥
मांग सिंदूर विराजत, टीको मृग मद को ।
कमल सरीखे दाऊ नैना, चन्द्र बदन नीको
॥
कनक समान कलेवर,
रक्ताम्बर राजै ।
रक्त पुष्प गलमाला, कण्ठन पर साजै ॥
केहरि वाहन राजत, खड़ग
खप्पर धारी ।
सुर-नर-मुनि-जन-सेवत,
सबके दुखहारी ॥
कानन कुण्डल शोभित,
नासाग्रे मोती ।
कोटिक चन्द्र दिवाकर, राजत सम ज्योति
॥
शुम्भ निशुम्भ विडारे,
महिषासुर
- घाती ।
धूम्र विलोचन नैना, निश दिन मदमाती ॥
चण्ड मुण्ड संहारे,
शोणित बीज हरे ।
मधु कैटभ दोऊ मारे, सुर भय हीन करे ॥
ब्रह्माणी, रुद्राणी, तुम
कमला रानी ।
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥
चौसठ योगिनी गावत,
नृत्य करत भैरुं ।
बाजत ताल मृदंगा,
और बाजत डमरुँ ॥
तुम हो जग की माता, तुम
ही हो भरता ।
भक्तन् की दुःख हरता, सुख-सम्पत्ति करता
॥
भुजा अष्ट अति शोभित,
वर मुद्रा धारी ।
मन वांछित फल पावे, सेवत नर नारी ॥
कंचन थाल विराजत, अगर
कपूर बाती ।
श्री पल्लू कोट में
विराजत, कोटि रतन ज्योति ॥
श्री अम्बे
भवानी की आरती,
जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पत्ति
पावे ॥
जय अम्बे गौरी,
मइया जय आनन्द करनी ।
तुमको निश-दिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिव री
॥
काली जी
की आरती
मंगल की सेवा
सुन मेरी देवा, हाथ जोङ तेरे
द्वार खडे
पान सुपारी
धवजा नारियल, ले ज्वाला तेरी भेंट क़रें ।
सुन जग्दम्बे कर न विलम्बे, सन्तन के भंडार भरे
सन्तान
प्रतिपाली सदा
खुशहाली, जय काली
कल्याण करे ॥
बुद्धि विधाता तू जगमाता, मेरा
कारज सिद्ध करे
चरण कमल का लिया आसरा, शरण तुम्हारी आन परे ।
जब जब पीर पडे भक्तन पर,
तब तब आए सहाय करे
सन्तन
प्रतिपाली सदा
खुशहाली, जय काली
कल्याण करे ॥
बार बार तै सब जग मोहयो, तरुणी
रुप अनूप धर
माता
होकर पुत्र
खिलावें, कही
भार्या बन भोग करे ।
संतन सुखदायी, सदा सहाई, संत खडे
जयकार करें
संतन प्रतिपाली सदा
खुशहाली, जय काली
कल्याण करे ॥
ब्रह्मा, विष्णु, महेश फल लिए
भेंट देन सब द्वार खड़े
अटल सिंहासन बैठी माता, सिर
सोने का छत्र धरे ।
वार शनिचर
कुंकुमवरणी, जब लुंकुड पर
हुक्म
करे
संतन प्रतिपाली सदा
खुशहाली, जय काली
कल्याण करे ॥
खड्ग खप्पर
त्रिशुल हाथ लिये, रक्तबीज कुं
भस्म करे
शुम्भ–निशुम्भ क्षणहिं में मारे,
महिषासुर को पकड धरे ।
आदित वारी आदि भवानी, जन अपने को
कष्ट हरे
संतन प्रतिपाली सदा
खुशहाली, जय काली
कल्याण करे ॥
कुपित होय कर दानव मारे, चण्ड–मुण्ड सब चुर करे
जब तूम देखो दया रूप हो, पल में संकट दूर टरे ।
सौम्य स्वभाव धरयो मेरी माता, जन की
अर्ज कबूल करे
संतन प्रतिपाली सदा
खुशहाली, जय काली
कल्याण करे ॥
सात बार महिमा बरनी, सब गुण कौन बखान करे
सिंह पीठ पर चढी भवानी, अटल भुवन में राज करे ।
दर्शन पावें मंगल गावें, सिध्द
तेरी भेंट धरें
संतन प्रतिपाली सदा
खुशहाली, जय काली
कल्याण करे ॥
ब्रह्मा वेद पढ़
तेरे द्वारे, शिवशंकर हरि
ध्यान धरे
इंद्र-कृष्ण तेरी करे आरती, चंवर
कुबेर डुलाय रहे ।
जय जननी जय मातुभवानी, अचल भुवन में राज करे
संतन प्रतिपाली सदा
खुशहाली, जय काली
कल्याण करे ॥ |